जैसा कि हम सब जानते ही है, लकड़ी की कà¥à¤°à¥à¤¸à¥€à¤¯à¥‹ ने हमारे घर से लेकर दफà¥à¤¤à¤° तक की शान को चार चांद लगा दिठहैं, और हमारे जीवन को सà¥à¤–दायी बनाया हà¥à¤† है। कà¥à¤¯à¤¾ आपके मन में कà¤à¥€ यह विचार आया है कि इन आरामदायक कà¥à¤°à¥à¤¸à¥€ के रचनाकार कौन थे? और कैसे इनका पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¨ इतना बढ गया?
आज à¤à¥€ लकड़ी की कà¥à¤°à¥à¤¸à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ सबसे अधिक चलन में हैं और यह हमारी रोजमरà¥à¤°à¤¾ की जिंदगी का à¤à¤• विशेष à¤à¤¾à¤— बन चà¥à¤•à¥€ हैं। तो आइये जानते हैं वà¥à¤¡à¥‡à¤¨ चेयरà¥à¤¸ की कà¥à¤› और दिलचसà¥à¤ª बातें, जो शायद ही आपको पता हो?
1) सोलहवीं सदी से ही है सà¥à¤°à¥à¥™à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में
हजारों साल पहले à¤à¥€ लोग आराम के लिठइन कà¥à¤°à¥à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को उपयोग में लेते थे। और यंहा तक की यह कà¥à¤°à¥à¤¸à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ लोगों के राजसी गौरव का परिचय देती थी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उस समय में केवल पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ और अमीर लोग ही लकड़ी की कà¥à¤°à¥à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का लà¥à¤«à¥à¤¤ उठाया करते थे।
2) चारलिस डारविन ने किया था ऑफिस चेयरà¥à¤¸ (कà¥à¤°à¥à¤¸à¥€) का निरà¥à¤®à¤¾à¤£
ऑफिस चेयरà¥à¤¸ के आरामदायक अनà¥à¤à¤µ से तो हम सब ही परिचित है । पर बहà¥à¤¤ कम लोग यह जानते होगे कि यह कमाल का विचार à¤à¤• पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ चारà¥à¤²à¥à¤¸ डारà¥à¤µà¤¿à¤¨ को सं 1840 में आया कि पहियों के अदà¤à¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— से इतनी आरामदायक कà¥à¤°à¥à¤¸à¥€ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ किया जा सकता है और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने विचार को हकीकत में बदल दिया।
3) आज à¤à¥€ कायम है वà¥à¤¡à¥‡à¤¨ चेयरà¥à¤¸ (कà¥à¤°à¥à¤¸à¥€ )का रिवाज
लकडियों की कà¥à¤°à¥à¤¸à¥€ ने सालों से अपनी जगह ऊंचे मà¥à¤•à¤¾à¤® पर बनाई हà¥à¤ˆ है। लकडियों की कà¥à¤°à¥à¤¸à¥€ हर घर की जरूरतों का à¤à¤• अहम à¤à¤¾à¤— है।
4) कर सकते हैं लंबे समय तक इसतेमाल
जी हाà¤, लकडियों की कà¥à¤°à¥à¤¸à¥€ जैसे कि आप सब जानते ही है, अà¤à¥€ à¤à¥€ रिवाज में है, इसके साथ ही हम इसका आंनद लंबे समय तक उठा सकते हैं। और तो और, सिरà¥à¤« à¤à¤• बार की पालिश से यह बिलकà¥à¤² नयी सी हो जाती है।
5) लकडियों की कà¥à¤°à¥à¤¸à¥€ होती हैं परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ से अनà¥à¤•à¥‚ल
हाठजी, जैसे कि लकड़ी à¤à¤• अकà¥à¤·à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤°à¥à¤¥ है, इसलिठलकडियों की कà¥à¤°à¥à¤¸à¥€ परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ के अनà¥à¤•à¥‚ल होती है। और इनको कम रख रखाव की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ होती है।